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रायपुर। ग्रामीण एवं
आदिवासी लोगों के जीवन में विकास के लिये जनसंचार के विद्यार्थी महत्वपूर्ण भूमिका
अदा कर सकते हैं। शासन की अनेक योजनाएं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में
क्रियान्वन एवं मूल्यांकन संप्रेषण एक उपकरण की तरह कार्य करता है। यह विचार
डा.इन्दिरा मिश्र ने व्यक्त किये। पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव डा.इंदिरा मिश्र आज
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के
ओरिएंटेशन कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थी। विश्वविद्यालय के
समवेत सभागार में डा मिश्र ने कहा कि
विकास की दिशा ग्रामीण गरीबी को दूर करने तथा विकास संचार को सशक्त करने में होनी
चाहिये। ग्रामीण स्वास्थय, सामाजिक- आर्थिक न्याय, उद्योग धंधे, तकनीकी संसाधन,
कृषि मजदूरों की समस्याएं इत्यादि एक दूसरे से संबंधित हैं, अतः विकास की दिशा तय
करने में इन मुद्दों को उपेक्षित नहीं किया जा सकता है। डा.मिश्र ने विकास संचार
के विषय पर अत्यन्त महत्वपूर्ण विचारों को सामने रखते हुए भारतीय संविधान के मौलिक
कर्तव्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस अवसर पर युनिसेफ की कम्युनिकेशन आफिसर
सुश्री प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि संचार के नैतिक मूल्यों की रक्षा करना आज के
परिदृश्य में जरुरी है। सुश्री चतुर्वेदी ने संचार के सही उपयोग से आदिवासी लोगों
में बदलाव लाने के बिन्दुओं पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों विकास संचार के
क्षेत्र में कार्य करने की अपील की।
इस अवसर पर
विश्वविद्यालय के कुलपति डा.सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि संचार के क्षेत्र में
जनसमुदाय की अपेक्षाओं को समुचित स्थान देने का दृष्टिकोण पैदा करना जरुरी है।
कार्यक्रम में अतिथियों का सम्मान शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।
स्वागत भाषण विभाग के अध्यक्ष डा.शाहिद अली ने किया। संचालन विभाग की छात्र-छात्राओं
क्रमशः सुश्री अंकिता शर्मा एवं प्रफुल्ल कुमार ने एवं आभार प्रदर्शन श्री
राजेन्द्र मोहन्ती, असिसटेंट प्रोफेसर जनसंचार विभाग ने किया।
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