सामाजिक परिवर्तन के लिए युवाओ की सहभागिता
कार्यशाला दिनाक :- 29 नवम्बर से 3 दिसम्बर
कार्यशाला क्षेत्र :-महाविधालय ( भानुप्रतापपुर )
सफल समापन
ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षित युवाओ में लेखन क्षमता को विकसित कर उनके आलेख के माध्यम से जनप्रतिनिधियो और नीति निर्धारको तक उनकी समस्याएं सामने रखकर समाज के विकास में अहम योगदान देने हेतु सामाजिक परिवर्तन के लिए युवाओ की सहभागिता कार्यशाला का, वालिमकी महाविधालय भानुप्रतापपुर में औपचारिक समाप्ती का कार्यक्रम किया गया। जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता कुषाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विष्वविधालय के कुलपति डा सचिचदानंद जोषी कर रहे थे। मुख्य अतिथि के रूप में समाचार चैनल जी 24 घण्टे छत्तीसगढ़ के संपादक अभय किषोर अांमत्रित थे। इसके साथ ही कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार आषा षुक्ला एवं महाविधालय के प्राचार्य अरूण कुमार भी थे। पूरे कार्यक्रम को स्थानीय जनमान्य नागरिको का तथा छात्र छात्राओ का सम्पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की षुरूआत डा षाहिद अली के स्वागत भाषण से हुआ जिसमें उन्होने सभी अथितियो का स्वागत करते हुए उन्हे परियोजना के उददेष्यो से परिचित कराया तथा इस समापित को विकास की नर्इ षुरूआत के रूप में बताया।
इसके पष्चात स्थानीय महाविधालय के तथा विष्वविधालय के कुछ छात्र छात्राओ ने सभी लोगो से अपने परियोंजना संबधी सामान्य अनुभव को साझा किया। अपने अतिथि उदभोषण में अभय किषोर ने बताया के उन्हे इन छात्रो से मुलाकात कर उन्हें अपने षुरूआती दिनो की स्मृति आ गर्इ। जब उन्होने अपने पत्रकारिता जीवन की षुरूआत झारखण्ड से की थी। विधार्थियो के लिए उन्होने अपने संदेष में कहा कि वे सदा अपने आप को देष विदेष की नवीन जानकारी से परिपूर्ण रखे।
कार्यक्रम के अंतिम दौर में अध्यक्षीय उदभोषण देते हुए कुलपति डा जोषी ने बताया कि किसी एक व्यकित के बहुत विकास से सम्पूर्ण समाज के थोड़े विकास का होना ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस परियोजना का उददेष्य भी कुछ इसी तरह था। समाज के युवाओ को सामाजिक परिवर्तन हेतु प्रेरित करना। इसके पष्चात महाविधालय में विष्वविधालय के छात्र छात्राओ द्वारा एडस पर एक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्षन किया गया जिसके पष्चात कुलपति डा जोषी ने एडस के प्रति जागरूकता हेतु रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके पष्चात परियोजना के इस सत्र की समापित की औपचारिक घोषणा की गर्इ। कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्य विष्वविधालय के समाज कार्य विभाग के सहायक प्राध्यापक षिव सिंह बघेल कर रहे थे।
इसी क्रम में पहले दिन, छात्रो को एक नये देष की कल्पना कर उसे कागज पर उतारने को कहा गया। नये देष की रचना में सभी छात्रो को 4 समुह में बांटा गया। जहां पर अपनी अपनी सृजनात्मक्ता के आधार पर छात्रो ने कर्मभूमि,युरोटोपिया,स्वराज जैसे देष का निर्माण किया। जिसमें राष्ट्रीय झंडा , राष्ट्रीय पक्षी , राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय पषु , राष्ट्रीय फूल की रचना की गर्इ। जहा पर ये रचनाएं छात्रो के सृजनात्मक्ता को दर्षाती है वही पर स्वयं के संविधान के निर्माण में छात्रो की सामाजिक जागरूकता के प्रति भागीदारी भी झलकती है।
सामाजिक परिवर्तन के लिए युवाओ की भागीदारी के आधार पर युवाओ के द्वारा ही सामाजिक सहयोग दिया जाए तो विकास की आवाज में भी प्रबलता नजर आती है। इस प्रबलता के लिए आवष्यक है कि युवा स्वयं का आंकलन कर सके। इसी उददेष्य को ध्यान में रख कर छात्रो के द्वारा आत्म आंकलन का कार्य किया गया। जिसमें छात्रो ने कुछ मुलभुत सवालो में खुद का आंकलन प्रस्तुत किया।
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